Ad Code

Ticker

6/recent/ticker-posts

उत्पीडन कें विरूध समिति पर नोट लिखिए।

 उत्पीड़न तथा अन्य क्रूर, अमानवीय तथा अनादर व्यवहार अथवा सजा क॑ विरुद्ध अभिसमय के भाग 2 में एक निगरानी संस्था का प्रावधान किया गया है जिसके अनुसार दस विशेषज्ञों की एक समिति जो चार साल की अवधि के लिए चुनी जाएगी (अनुच्छेद 18)। इसे उत्पीड़न के विरुद्ध समिति कहा जाता है। संधि संगठनों में यह सबसे छोटा संगठन है। यह समिति साल में दो बार दो सप्ताह की बैठक करती है। अन्य संधि संगठनों की तरह उत्पीड़न के विरुद्ध समिति भी विभिन्‍न सदस्य-राज्यों से आवर्ती रिपोर्ट प्राप्त करके उन पर विचार करती है, तथा उन राज्यों के नागरिकों से व्यक्तिगत शिकायतें भी प्राप्त करती है जिन्होंने इसकी क्षमता को स्वीकार किया है। सदस्य-राज्यों द्वारा भेजी जाने वाली आवर्ती रिपोर्ट में इन बातों का ब्यौरा अनिवार्य है : उनकी राष्ट्रीय सीमाओं में मानव अधिकारों के उल्लंघन पर निषेध संबंधी सूचना, मानव अधिकारों का उल्लंघन करने वालों को दी जाने वाली सजा, तथा संभावित एवं वास्तविक पीड़ितों की सुरक्षा । इस समिति के पास संयुक्त राष्ट्र की अन्य संस्थाओं अथवा विशिष्ट अभिकरणों के साथ परामर्श अथवा सहयोग की कोई व्यापक व्यवस्था नहीं है। गैर-सरकारी संगठनों के साथ भी इसका आदान-प्रदान न्यूनतम है हालाँकि यह पहली समिति थी जिसने गैर-सरकारी संगठनों को इसकी सभी प्रक्रियाओं के बारे में सूचनाएँ प्रस्तुत करने के लिए आज्ञा दी थी। तथापि इसमें किसी सदस्य-राज्य की रिपोर्ट पर विचार करने से पहले गैर-सरकारी संगठनों की बात सुनना यह सामान्य प्रथा है हालाँकि उनकी कोई आधिकारिक स्थिति नहीं होती। केवल उन्हीं गैर-सरकारी संगठनों, के इस समिति के साथ प्रगाढ़ संबंध हैं जो विशेष रूप से उत्पीड़न के मामलों से जुड़े हुए हैं।

अभिसमय के अनुच्छेद 22 में व्यक्तिगत शिकायतों का प्रावधान भी किया गया है। यह एक वैकल्पिक प्रक्रिया है जिसके लिए किसी सदस्य-राज्य को एक पृथक घोषणा के माध्यम से अपनी स्वीकृति देनी होती है। बाकी सभी दृष्टिकोणों से उत्पीड़न के विरुद्ध समिति का व्यक्तिगत शिकायत प्रक्रिया का ढाँचा नागरिक-राजनीतिक अधिकारों के अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदा के वैकल्पिक प्रोटोकॉल से मिलता जुलता है। तथापि इस वैकल्पिक प्रक्रिया को अपनाने वाले देशों की संख्या काफी कम है। इस समिति द्वारा प्राप्त होने वाली व्यक्तिगत शिकायतों में दिन प्रतिदिन बढ़ोतरी हो रही है। अत: 2001 में नई शिकायतों तथा अंतरिम उपायों के लिए एक रिपोर्टियर की स्थापना की गई। जैसे ही कोई शिकायत प्राप्त होती है और यह पाया जाता है कि उल्लंघन गंभीर प्रकृति का है तो समिति के पास रोकथाम के लिए अंतरिम उपाय करने की अंतर्निहित शक्ति है। ये उपाय इस लिए किए जाते हैं ताकि कथित उल्लंघनों के पीड़ितों को असुधार्य हानि से बचाया जा सके।

इस समिति की एक अनन्य योग्यता यह है कि यह उत्पीड़न के क्रमबद्ध व्यवहार की कथित घटनाओं के घटनास्थलों की यात्रा करके तथा उनकी जाँच करके तुरंत कार्यवाही कर सकती है। तथापि यह योग्यता केवल उत्पीड़न के मामलों तक सीमित है, यह क्रूर, अमानी अथवा अभद्र व्यवहार पर लागू नहीं होती। तथा तात्कालिक यात्रा भी केवल उस स्थिति में की जाती है जब मामला क्रमबद्ध उत्पीड़न का हो; उत्पीड़न की छुटपुट घटनाएँ नहीं।

यहाँ संबद्ध सदस्य-राज्य की सहमति तथा सहयोग अत्यधिक महत्वपूर्ण है। समिति अपने एक अथवा अधिक सदस्य द्वारा जाँच का आदेश दे सकती है तथा ये सदस्य कथित देश की यात्रा कर सकते हैं तथा इस मामले में अपनी रिपोर्ट तैयार कर सकते हैं। समिति के निर्णय अपनी टिप्पणियों तथा परामर्श के साथ सदस्य-राज्य को भेज दिए जाते हैं ताकि वह देश आगे कार्यवाही कर सके। किसी संधि संगठन द्वारा विकसित की गई जाँच की यह सबसे अधिक व्यापक व्यवस्था है। जाँच की व्यवस्था के कारण उत्पीड़न के विरुद्ध समिति की शक्तियाँ अन्य संधि संगठनों की अपेक्षा अधिक हस्तक्षेपी तथा गहरी है।

इस अभिसमय में भी एक वैकल्पिक प्रोटोकाल है जिसे 2002 में अपनाया गया। इस बैकल्पिक प्रोटोकाल का उद्देश्य नजरबंदी के स्थानों की स्वायत्त अन्तर्राष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय संगठनों द्वारा नियमित यात्रा की व्यवस्था स्थापित करना है। यह अपने आप में काफी अंतर्वेधी रचनातंत्र हो सकता है क्योंकि यह सदस्य-राज्यों को नजरबंदी के सभी स्थानों तक पहुँच की सुविधा देने के लिए बाध्य करेगा। यह वैकल्पिक प्रोटोकॉल दस स्वायत्त विशेषज्ञों की एक नई अन्तर्राष्ट्रीय संस्था - उत्पीड़न की रोकथाम पर उपसमिति की स्थापना का भी प्रावधान करता है। परंतु यह वैकल्पिक प्रोटोकाल अभी लागू होना है (इसके लिए 20 सदस्य-राज्यों की स्वीकृति आवश्यक है)।

उत्पीड़न के विरुद्ध समिति की निगरानी प्रक्रिया में भी कई कमियाँ हैं। अभिसमय समिति को केवल प्रतिक्रियात्मक तरीके से कार्य करने की शक्ति देता है अर्थात्‌ यह समिति तभी कोई कार्यवाही करती है जब उत्पीड़न संबंधी घटनाएँ घट चुकी होती हैं और इनके बारे में इसे सूचित किया जाता है। इस अभिसमय में उत्पीड़न की रोकथाम तथा रोकथाम के रचनातंत्र के संस्थापीकरण पर कोई बल नहीं दिया गया। अभिसमय में आमसभा द्वारा अनुमोदित एक वैकल्पिक प्रोटोकॉल है जिसमें अन्तर्राष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय स्वायत्त संस्थाओं द्वारा नजरबंदी के स्थानों की नियमित रूप से यात्रा करने का प्रावधान है परन्तु इसे अभी आवश्यक सदस्य-राज्यों की स्वीकृति नहीं मिली। अतः यह लागू नहीं हो सका है।

For PDF copy of Solved Assignment

Any University Assignment Solution

WhatsApp - 8409930081 (Paid)

Post a Comment

0 Comments

close