जब 1978 में यूरोप और एशिया में संस्थापक कार्यकलापों के साथ हयूमन राइट्स वाच ने अपनी यात्रा आरंभ की थी, तब से इसे हेलसिन्की वॉच कहा जाता था। हयूमन राइट्स वाच का उद्देश्य संसार के विभिन्न भागों में लोगों के मानव अधिकारों की रक्षा करना है: "भेदभावों की रोकथाम के लिए, राजनीतिक स्वतंत्रता की परिपुष्टि के लिए, युद्ध की अवस्था में लोगों को अमानवीय व्यवहार से बचाने के लिए तथा अपराधियों को न्यायालय तक लाने के लिए हम पीड़ितों तथा सक्रियवादियों के साथ हैं। यह संगठन मानव अधिकार उल्लंघनों की जाँच करता है, उनका पर्दाफाश करता है तथा दुरुपयोग करने वालों को जिम्मेवार ठहराता है। दुरुपयोग संबंधी प्रथाओं को समाप्त करने के लिए तथा अन्तर्राष्ट्रीय मानव अधिकार कानून के सम्मान के उदाहरणों के रूप में सरकारों तथा शक्ति के धारकों को चुनौती देता है| संसार के सभी लोगों के लिए मानव अधिकार के संघर्ष के लिए यह आम जनता तथा अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय का समर्थन भी प्राप्त करता है।
न्यूयार्क के अतिरिक्त हयूमन राइट्स वाच के वाशिंगटन डी.सी., लंदन, बेल्जियम, मास्को, दुशाम्बे, रियो तथा हांगकांग में भी कार्यालय हैं। एशिया तथा अफ्रीका, अमेरिका तथा मध्य पूर्व के लिए इसके अलग विभाग हैं। इसके अतिरिक्त, शस्त्रों, बाल अधिकार तथा महिलाओं के अधिकार पर इसके तीन विषय विभाग हैं |
1998 में हयूमन राइट्स वाच ने भारत के 16 करोड़ दलितों की दुर्दशा पर एक उत्कृष्ट रिपोर्ट तैयार की। यह पहला अवसर था कि जब किसी अन्तर्राष्ट्रीय संगठन ने भारत के दलितों की दुर्दशा की जाँच करने के लिए अपना समय तथा शक्ति खर्च की। इस संदर्भ में हयूमन राइट्स वाच की विशेषज्ञ समिता नरूला ने सारे भारत का दौरा किया, 300 दलित सक्रियवादियों तथा संगठनों से मुलाकात की तथा एक भारी भरकम रिपोर्ट तैयार की जिसमें दलितों को प्रजातांत्रिक शक्ति के कथित शक्तियों का पर्दाफाश किया गया। यह आँखें खोलने वाली रिपोर्ट थी। हयूमन राइट्स वाच की साख इसकी मानव अधिकारों के उद्देश्यों के प्रति प्रमाणित तथा संपूर्ण प्रतिबद्धता तथा अपने अनेक अभियानों के लिए किसी भी प्रकार की सरकारी अश्रवा आधिकारिक समर्थन न प्राप्त करने का वायदा है।
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