यदि हम पूछे कि हमने औपनिवेशिक भारत में क्या देखा हैं जो भारत को एक राष्ट्र के रुप में उत्पति करेगा। देसाई ने लिखा है कि “ब्रिटिश खाजे का एक महत्वपर्ण परिणाम था केंद्रीकृत राष्ट्र की स्थापना। इतिहास में भारत का वास्तविक आधारभूत राजनैतिक व प्रशासनिकीकरण पहली बार हुआ। .ऐसी एकता ब्रिटिश पर्वूं के भारत में नही थी, जो प्राय अनेक राजा के राज में विभक्त था, जो अक्सर अपने राज्य के सीमा को बढ़ाने के लिए आपस में लड़ते रहते थे। यह सत्य है कि महान सम्राटों जैसे अशाके, समुद्रगुप्त और अकबर ने प्रयास किया था, कि सम्पूर्ण भारत को एक राजा के शासन और प्रशासन पद्धति के अधीन लाया जाय । जबकि, जब उन लागों ने भारत के वृहत्तर भाग को अपने शासन के अधीन कर लिया, राजनीतिक और प्रशासनिक एकता नाम मात्र के लिए हो पाई (दसेाई,1984:152)
अत: ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान द्वारा प्राप्त की गयी राजनीतिक एकता बहुत महत्वपर्ण थी। इस पर और खोज करने की आवश्यकता है कि ब्रिटिश ने ऐसी राजनीतिक एकीकरण कैसे संभव किया जो भारतीय इतिहास में अद्वितीय था। देसाई ने इन मुद्दों पर विचार व्यक्त किये। देसाई मानते हैं कि ब्रिटिश पूर्व के भारत में राजनैतिक और प्रशासनिक एकता नहीं हा पाई इसका मुख्य कारण एकीकृत अर्थव्यवस्था और संचार संसाधनों का अभाव था, जो भारत के विभिन्न भागों को जोड़ते थे | हालांकि देसाई कहते हैं कि ये भी सच है कि ब्रिटिश पूर्व भारत में भी भारत की अखंडता की धारणा मौजूद थी और फलफूल रही थी। लेकिन इस एकता का भूगॉलिक एकता के रुप में और हिन्दुओं का धार्मिक और सांस्कृतिक एकता के रुप में देखा गया था। भारत भौगोलिक और सांस्कृतिक रुप से चिरस्थायी है। भारत के सभी लोगां को राजनीतिक रुप से एकीकृत करने का विचार उस समय की सामाजिक. एतिहासिक परिस्थिति मं मौजूद नहीं था और न संभव हो सकता था। लागे सामाजिक और आर्थिक रुप से एकीकृत नहीं थे इसलिए, वा लोग राजनीतिक रुप से भी एकीकृत नहीं थे। ब्रिटिश शासन ने भारत में एक राज्य संरचना की स्थापना की जो अपने.आप में विशिष्टतः नयी तरह का था। यह अत्याधिक केंद्रीकृत और देश के सुदरत्तम भाग तक फैली हुई थी।
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